MP के 19 वर्षीय 'मिसाइल मैन' प्रखर विश्वकर्मा का हिला देने वाला फैसला: NASA-ISRO से मिले सम्मान को गंगा में विसर्जित करेंगे।
भोपाल/: मध्य प्रदेश के युवा वैज्ञानिक, 19 वर्षीय प्रखर विश्वकर्मा, जिन्हें उनकी मिसाइल परियोजनाओं के कारण 'MP का मिसाइल मैन' कहा जाता है, ने अपने जीवन की सभी बड़ी उपलब्धियों को त्यागने का चौंकाने वाला निर्णय लिया है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे प्रखर ने घोषणा की है कि वह NASA और ISRO से मिले अपने सभी सम्मान और पुरस्कार गंगा नदी में विसर्जित कर देंगे।
क्या है पूरा मामला?
युवा वैज्ञानिक प्रखर विश्वकर्मा, जो कि ISRO के 'स्पेस ट्यूटर' भी हैं और मिसाइल परियोजनाओं पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, ने अपने इस कठोर फैसले के पीछे कुछ 'कारणों' और 'संदिग्ध लोगों' के शामिल होने का संकेत दिया है।
प्रखर के मुताबिक, कुछ परिस्थितियों के चलते वह यह सब कुछ छोड़ रहे हैं। उनके इस बयान ने देश की वैज्ञानिक बिरादरी को सकते में डाल दिया है। एक युवा प्रतिभा, जिसने अपनी उम्र के बावजूद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई, उसका इस तरह हताश होकर कदम उठाना देश की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
प्रखर विश्वकर्मा की पहचान:
* उम्र और शिक्षा: मात्र 19 वर्ष की आयु में इंजीनियरिंग के छात्र।
* उपलब्धियां: NASA और ISRO से सम्मानित; ISRO के 'स्पेस ट्यूटर' के रूप में युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन।
* विशेष पहचान: स्व-विकसित मिसाइल प्रोजेक्ट्स के कारण 'MP का मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर।
दोषियों पर सवाल और जांच की मांग:
प्रखर का आरोप है कि उनके इस फैसले में 'कुछ संदिग्ध लोग शामिल' हैं। यह इशारा करता है कि उन्हें शायद किसी प्रकार के दबाव, षड्यंत्र या अनुचित हस्तक्षेप का सामना करना पड़ रहा है। देश की सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों (ISRO, NASA से संबंधित अधिकारी) से यह मांग की जा रही है कि वे तुरंत इस मामले का संज्ञान लें और इसकी निष्पक्ष और उच्च-स्तरीय जाँच सुनिश्चित करें, ताकि देश की इस होनहार प्रतिभा को बचाया जा सके और उन संदिग्ध तत्वों को उजागर किया जा सके, जो प्रखर को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर रहे हैं।
यह घटना युवा वैज्ञानिकों के मनोबल और भविष्य की दिशा पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाती है।
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