ISRO VERY RARE MISSION 2022

 








Image credit : PLAD RESEARCH 

ISRO के प्लान 2022 के आगे नतमस्तक होगी दुनिया, जानिए समुद्र से सूरज तक भारत कैसे गाड़ेगा झंडे?

पलेरा , April 30 : साल 2021 भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ठीकठाक ही रहा, लेकिन अगले साल भारत कई ऐसे अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम देने वाला है, जिससे अंतरिक्ष की दुनिया में भारत की धाक ना सिर्फ और ज्यादा बढ़ जाएगी, बल्कि सारी दुनिया भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के आगे नतमस्तक हो जाएगी। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष उद्योग भी साल 2022 का बेसब्री से इंतजार कर रहा है और उम्मीद कर रहा है कि, 2021 की तुलना में साल 2022 भारतीय अंतरिक्ष इंडस्ट्री के लिए एक नया इतिहास लिखे।


सुपरहिट होगा भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम

इस साल भारतीय अंतरिक्ष मिशन कार्यक्रम का आगाज 'गगनयान' मिशन के साथ शुरू होगा और साल 2022 के अंत तक भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी दो मानवरहित मिशनों को भी शुरू करेगा। इसके साथ ही भारत सरकार ने यह भी कहा है कि, अगले कुछ सालों में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी वीनस मिशन, सोलर मिशन और स्पेस स्टेशन बनाने को लेकर मिशन की शुरूआत करने वाला है। भारत सरकार की तरफ से संसद में जानकारी दी गई है कि, साल 2022 में इसरों बेहद महत्वपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रम वीनस मिशन को शुरू करेगा। हालांकि, कोविड महामारी की वजह से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में कुछ देरी जरूर हुई है, लेकिन इस साल भारत कई और मिशन को अंजाम देने वाला है।

विश्व अंतरिक्ष कार्यक्रम और इसरो

विश्व की दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ साथ अंतरिक्ष सेक्टर में विस्तार के लिए नई नीतियों का निर्धारण किया है और अमेरिका की तर्ज पर भारतीय अंतरिक्ष उद्योग में प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल करने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही इसरो में एफडीआई को भी मंजूरी दी गई है, ताकि इसरो के सामने अब तक जो आर्थिक चुनौतियां आ रहीं थीं, उसे दूर किया जा सके। लिहाजा इस साल पूरी उम्मीद है कि, एफडीआई को लेकर भारत सरकार तमाम नियमों को इस साल पूरा करेगी। समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, वैश्विक अंतरिक्ष बाजार करीब 360 अरब डॉलर का है और साल 2040 तक अंतरिक्ष बाजार के एक ट्रिलियन डॉलर के होने की उम्मीद है, ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए दायित्व और जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं।


स्पेस इंडस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी

वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी अभी सिर्फ 2 प्रतिशत है, लिहाजा ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री के लिए भारत एक नये खिलाड़ी जैसा जरूर है, लेकिन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने टेक्नोलॉजी को लेकर जो विस्तार किया है, वो इसे विश्व के अग्रणी स्पेस एजेसियों में से एक बनाता है। संसद में भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने इसी महीने जानकारी देते हुए कहा है कि, अगले साल यानि 2022 में गगनयान मिशन से पहले इसरो दो मानवरहित मिशनों को पूरा करने वाला है और भारत सरकार की भी यही योजना है।

इसरो का मिशन गगनयान

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो के गगनयान मिशन की लागत 9 हजार 023 करोड़ रुपये होने वाली है। इसरो के गगनयान मिशन का वैज्ञानिक उपलब्धि मिशन होने के अलावा देश के लिए रणनीतिक महत्व है। इसरो ने अब तक सैकड़ों सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में लॉन्च किया है, लेकिन कभी कोई यान इंसानों को लेकर अंतरिक्ष में नहीं गया है। लेकिन अब गगनयान के जरिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजने की तैयारी चल रही है। साथ ही चारों अंतरिक्षयात्रियों को इसके लिए अभी ट्रेनिंग दी जा रही है। सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो गगनयान अगले साल यानि 2022 में लॉन्च हो जाएगा। इसरो का ये मिशन अगर कामयाब रहता है, तो भारत, अमेरिका, चीन, रूस और जापान के क्लब में शामिल हो जाएगा।

7 दिनों तक पृथ्वी की करेंगे परिक्रमा

मिशन गगनयान के तहत अंतरिक्षयान में सवार होकर चारों एस्ट्रोनॉट्स सात दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे। फिर वो वापस धरती पर लौट आएंगे। इस दौरान 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियों को हासिल किया जाएगा, ताकि भविष्य के मिशन के लिए दूसरे यानों को तैयार किया जा सके। इससे पहले चंद्रयान नाम का मिशन इसरो ने लॉन्च किया था। जिसके पहले फेस ने चंद्रमा की सतह से जुड़ी कई अहम जानकारियां भेजीं। इसके बाद चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया, लेकिन उसकी सफल लैंडिंग नहीं हो पाई। फिर इसरो ने गगनयान पर पूरा फोकस किया। इसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा जाता है। साथ ही इसके लिए फंड की कमी ना हो, सरकार इसका भी पूरा ध्यान रख रही है।

इसरो का समुद्रयान मिशन

गगनयान मिशन के अलावा इसरो ने समुद्र में भी खोज करनी शुरू कर दी है और अगले कुछ सालों में भारत की टेक्नोलॉजी अंतरिक्ष के अलावा समुद्र में भी ग्लोबल होगी। भारत सरकार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए कहा कि इसरो एक डीप ओशन मिशन पर काम कर रहा। इसमें एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। इस प्रोजेक्ट का नाम 'समुद्रयान' है। उन्होंने आगे बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान ने पहले 500 मीटर पानी की गहराई रेटिंग के लिए एक मानवयुक्त पनडुब्बी प्रणाली को विकसित कर उसका परीक्षण किया था।

समुद्रयान मिशन में कितना आएगा खर्च?

जितेंद्र सिंह के मुताबिक अक्टूबर 2021 में हल्के स्टील का निर्मित पनडुब्बी को 600 मीटर गहराई तक भेजा गया। इसका व्यास 2.1 मीटर था, जो मानवयुक्त है। इसे 6000 मीटर गहराई के लिए विकसित करने पर काम किया जा रहा है, जिसमें टाइटेनियम का इस्तेमाल होगा। साथ ही इसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इसरो, तिरुवनंतपुरम का सहयोग है। इस प्रोजेक्ट पर 4100 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि इसके लिए 2024 तक का लक्ष्य रखा गया है।

रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर फोकस

इसके साथ ही इसरो ने अब रिसर्च एंड डेवलपमेंट की तरफ अपना फोकस बढ़ाने की बात कही है। इसके अलावा रॉकेट और सैटेलाइट बनाने वाले निजी क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए भी अगला साल अहम होने वाला है। छोटे रॉकेट निर्माता स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड और अग्निकुल कॉसमॉस 2022 के अंत तक अपने वाहनों को लॉन्च करने की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि सैटेलाइट बनाने वालीसिजीजी स्पेस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, जिसे आमतौर पर पिक्सेल के नाम से जाना जाता है, अगले साल किसी समय अपने उपग्रह को उड़ाने की उम्मीद है।

2022 में ही आदित्य मिशन की शुरूआत!

गगनयान के अलावा अगले साल इसरो आदित्य मिशन की शुरूआत भी करने वाला है। इसरो का ये एक सोलर मिशन है, जिसका पूरा नाम आदित्य सोलर मिशन है। कोरोना महामारी की वजह से इसरो के इस मिशन में काफी देरी आ चुकी है, लेकिन अगले साल इस मिशन के लॉन्च होने की संभावना है। अपने इस मिशन के तहत इसरो अपने रॉकेट को सूर्य के वायूमंडल में भेजने की कोशिश करेगा और रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो रॉकेट के जरिए अपने सैटेलाइट को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर सूर्य के वायुमंडल में भेजेगा। इसरो का ये उपग्र पृथ्वी और सूर्य के बीच एल-1 नामक प्वाइंट पर भेजा जाएगा। ये बिंदु अंतरिक्ष जगत में एक पार्किंग स्पाउट माना जाता है और अभी तक सिर्फ नासा ही अपने सैटेलाइट को यहां तक भेजने में कामयाब रहा है।


- Mr. P Xenon Vishwakarma 

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